सांवरिया सेठ जी का इतिहास
सांवरिया सेठ (Sawariya Seth) जी का इतिहास अत्यंत रहस्यमय और भक्तिभाव से परिपूर्ण है। कहा जाता है कि एक व्यापारी, जिसका नाम भोलाराम था, उसे एक स्वप्न आया जिसमें स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उसे दर्शन दिए और आदेश दिया कि वह चार रात्रियों तक प्रतीक्षा करे। चौथी रात को एक निश्चित स्थान पर खुदाई करने पर उसे एक दिव्य मूर्ति प्राप्त होगी। भोलाराम ने ठीक वैसा ही किया और चौथी रात को मंडफिया गांव में खुदाई करवाई, जहाँ से भगवान कृष्ण की एक अत्यंत आकर्षक और चमत्कारी श्यामरूप मूर्ति प्राप्त हुई। इस मूर्ति को वहीं स्थापित कर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।
यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के मंडफिया गांव में स्थित है और इसे सांवरिया सेठ या श्याम बाबा के नाम से जाना जाता है। यह स्थान अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आकर प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मंदिर की ख्याति और चमत्कारों के कारण इसे मेवाड़ का तीर्थराज भी कहा जाता है। यहां सालभर विभिन्न पर्वों और विशेष अवसरों पर विशाल मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से लाखों भक्त शामिल होते हैं।
सांवरिया सेठ के चमत्कार और मान्यताएँ
सांवरिया सेठ जी का मंदिर उन भक्तों के लिए एक बहुत ही आस्था और भरोसे की जगह है, जो जीवन में किसी न किसी मुश्किल से जूझ रहे होते हैं। लोगों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान सेठ जी से प्रार्थना करता है, तो उसकी हर मन की बात पूरी होती है। चाहे व्यापार में भारी नुकसान हो, नौकरी न मिल रही हो, बीमारी ठीक न हो रही हो या परिवार में कोई परेशानी हो—यहाँ आकर भगवान से प्रार्थना करने से राहत जरूर मिलती है।
सांवरिया सेठ के चमत्कार के बारे में यह भी मान्यता है कि यहाँ जो भी दान करता है, उसके घर में बरकत बढ़ती है। भक्त यहाँ धन, सोना-चांदी, मिठाइयाँ और कपड़े जैसी चीजें दान में चढ़ाते हैं। कुछ लोग तो अपना वादा पूरा होने पर मंदिर में भारी मात्रा में दान देते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहाँ दिया गया दान कई गुना होकर वापस लौटता है।
कई लोगों ने खुद के अनुभव भी साझा किए हैं—जैसे किसी को व्यापार में लाभ हुआ, किसी की लंबी बीमारी ठीक हो गई या किसी की पारिवारिक समस्या सुलझ गई। ये सारे अनुभव लोगों की श्रद्धा को और मजबूत करते हैं और यही कारण है कि देशभर से लाखों भक्त हर साल सांवरिया सेठ जी के दर्शन करने आते हैं।
सांवरिया सेठ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
सांवरिया सेठ जी का मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसे “व्यापारियों का तीर्थ” माना जाता है। यहाँ दूर-दूर से व्यापारी, आम लोग, युवा और बुजुर्ग सभी आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ लेकर भगवान के सामने सिर झुकाते हैं। लोगों का विश्वास है कि जो भी यहां सच्चे मन से कुछ माँगता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है।
हर दिन हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, और खास मौकों पर तो लाखों की भीड़ लगती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ कोई भी उम्र या वर्ग का व्यक्ति आ सकता है—धार्मिक आस्था रखने वाले, व्यापार में तरक्की चाहने वाले, या जीवन की समस्याओं से परेशान लोग—सभी को यहाँ से आशा और शांति मिलती है। यही कारण है कि यह मंदिर राजस्थान ही नहीं, पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया है।
पूजा पाठ और आरती का समय
सांवरिया सेठ जी मंदिर में होने वाली पूजा-पाठ और आरती का समय का पूरा विवरण :
क्रम | पूजा / आरती का नाम | समय (समर – गर्मियों में) | समय (विंटर – सर्दियों में) | विवरण |
1 | मंदिर खुलने का समय | सुबह 5:00 बजे | सुबह 5:30 बजे | मंदिर का पट खुलता है |
2 | मंगला आरती | सुबह 5:30 बजे | सुबह 6:00 बजे | दिन की पहली आरती |
3 | श्रृंगार दर्शन | सुबह 6:00 बजे से | सुबह 6:30 बजे से | भगवान को सजाया जाता है |
4 | राजभोग आरती | दोपहर 12:00 बजे | दोपहर 12:00 बजे | भोग अर्पण के साथ की जाने वाली आरती |
5 | मंदिर बंद (विश्राम) | दोपहर 12:30 से 3:30 बजे तक | दोपहर 12:30 से 3:30 बजे तक | भगवान विश्राम करते हैं |
6 | मंदिर पुनः खुलता है | शाम 3:30 बजे | शाम 3:30 बजे | भक्त फिर से दर्शन कर सकते हैं |
7 | संध्या आरती | शाम 7:00 बजे | शाम 6:30 बजे | सूर्यास्त के बाद की आरती |
8 | शयन आरती | रात 9:00 बजे | रात 8:30 बजे | भगवान को शयन कराया जाता है |
9 | मंदिर बंद होने का समय | रात 9:30 बजे | रात 9:00 बजे | अंतिम दर्शन के बाद पट बंद होते हैं |
नोट:
- समय मौसम के अनुसार थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है।
- विशेष त्योहारों और एकादशी के दिन विशेष आरती और दर्शन का आयोजन होता है।
- दर्शन और आरती का आनंद लेने के लिए समय से पहले मंदिर परिसर में पहुँचना उचित रहता है।
सांवरिया सेठ
सांवरिया सेठ जी मंदिर का स्थान और कैसे पहुंचे?
स्थान: मंडफिया गांव, चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान।
रेलवे स्टेशन: निकटतम रेलवे स्टेशन है चित्तौड़गढ़ जंक्शन, जो मंदिर से लगभग 40 किमी दूर है।
हवाई अड्डा: उदयपुर डबोक एयरपोर्ट लगभग 80 किमी दूर है।
बस सेवा: चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, जयपुर से सीधी बस सेवा उपलब्ध है।
भक्तों की संख्या और दर्शन व्यवस्था
त्योहारों पर मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। मंदिर प्रशासन दर्शन व्यवस्था को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए CCTV, PA सिस्टम और सेवक दल का सहारा लेता है।
सांवरिया सेठ जी मंदिर के उत्सव और मेले
1. जन्माष्टमी
- मंदिर को फूलों, लाइटों और झांकियों से बहुत सुंदर तरीके से सजाया जाता है।
- रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष मंगला आरती और दूध से अभिषेक होता है।
- भक्तों के लिए झूलन सेवा और झांकी दर्शन होते हैं, जिसमें भगवान को झूले में बैठाया जाता है।
- पूरी रात भजन-कीर्तन, जागरन, और प्रसाद वितरण चलता है।
2. रथ यात्रा
- भगवान सांवरिया सेठ जी की प्रतिमा को एक सुंदर रथ पर विराजित किया जाता है।
- रथ को सैकड़ों भक्तों द्वारा खींचा जाता है, और यात्रा मंदिर से पूरे गांव में निकाली जाती है।
- रास्ते में जगह-जगह फूलों की वर्षा, भजन मंडलियों, और भक्तों का नृत्य होता है।
- सुरक्षा व्यवस्था और व्यवस्था समिति के लोग यात्रियों की सेवा करते हैं।
3. पूर्णिमा भजन संध्या
- हर पूर्णिमा को शाम से रात तक मंदिर परिसर में भव्य भजन संध्या होती है।
- प्रसिद्ध भजन गायकों को बुलाया जाता है, और मंच पर सांवरिया सेठ जी की महिमा के गीत गाए जाते हैं।
- कार्यक्रम के बाद सभी भक्तों को प्रसाद भी दिया जाता है।
4. भाद्रपद मास का सालाना मेला
- इस दौरान मंदिर में विशेष श्रृंगार, भोग आरती, और महाभंडारा आयोजित किया जाता है।
- प्रदर्शनियां, झूले, खेल, और मेले के स्टॉल्स लगते हैं।
- अलग-अलग राज्यों से आए श्रद्धालु मंदिर में मनोकामना पत्र और नकद दान अर्पित करते हैं।
- मंदिर 24 घंटे खुला रहता है ताकि हर भक्त दर्शन कर सके।
5. एकादशी महोत्सव
- एकादशी पर विशेष व्रतधारी भक्तों के लिए अलग लाइन से दर्शन की सुविधा होती है।
- इस दिन भगवान को विशेष फलाहार भोग लगाया जाता है।
- शाम को कीर्तन और भजन कार्यक्रम होते हैं।
6. दीपावली और अन्नकूट उत्सव
- मंदिर दीपों और रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा उठता है।
- अन्नकूट के दिन भगवान को सैकड़ों प्रकार के पकवान का भोग लगाया जाता है।
- भक्तों को यह अन्नकूट भोग प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है।
7. होली महोत्सव
- भगवान को गुलाल और फूलों से होली खेलाई जाती है।
- मंदिर में फाग गीत, ढोल-नगाड़े, और भक्तों का नृत्य होता है।
- रंग और फूलों की वर्षा से वातावरण बेहद आनंदमय बन जाता है।
सांवरिया-सेठ-मंदिर-फोटो
प्रसाद, धर्मशालाएं और होटल
सांवरिया सेठ जी में प्रसाद वितरण
सांवरिया सेठ जी के मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में बहुत ही स्वादिष्ट और पवित्र व्यंजन वितरित किए जाते हैं:
- लड्डू: मंदिर में चढ़ाए गए शुद्ध देसी घी के लड्डू भक्तों को प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।
- खीर: त्योहारों और विशेष अवसरों पर चावल-दूध की बनी खीर भी प्रसाद में दी जाती है।
- पंजीरी: सूखे मेवे और आटे से बनी पंजीरी नियमित प्रसाद में वितरित होती है।
- भंडारा प्रसाद: विशेष मौकों पर मंदिर परिसर में महाभंडारे का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों भक्त मिलकर बैठते हैं और गरम-गरम भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।
ठहरने की व्यवस्था (धर्मशालाएं और होटल)
सांवरिया सेठ मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर के आसपास सैकड़ों ठहरने की व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं — निःशुल्क से लेकर सुसज्जित होटलों तक।
मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित निःशुल्क भक्त निवास
- मंदिर ट्रस्ट द्वारा कई भक्त निवास बनाए गए हैं, जहाँ साफ-सुथरे कमरे, शौचालय और पेयजल की सुविधा निःशुल्क दी जाती है।
- ये विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी हैं जो दूर-दराज से आते हैं और लंबा समय मंदिर में बिताना चाहते हैं।
प्रमुख होटल और धर्मशालाएं
- श्री सांवरिया सेठ धर्मशाला:
- मंदिर के पास स्थित यह धर्मशाला सस्ती दरों पर कमरे देती है।
- यहाँ AC/Non-AC कमरे, पार्किंग, भोजन और गर्म पानी की सुविधा उपलब्ध होती है।
- कृष्णा पैलेस होटल:
- यह एक अच्छा होटल है जिसमें आधुनिक सुविधाएं जैसे AC, TV, रूम सर्विस और रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं।
- परिवार के साथ ठहरने के लिए उपयुक्त है।
- स्थानीय गेस्ट हाउस और लॉज:
- बजट में यात्रा करने वालों के लिए यहाँ कई साधारण लॉज और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
- कम कीमत में आरामदायक और सुरक्षित ठहराव मिलता है।
- ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा:
- अब कई धर्मशालाओं और होटलों की बुकिंग वेबसाइटों और ऐप्स के ज़रिए पहले से की जा सकती है, जिससे भीड़ के समय भी ठहरने की सुविधा मिलती है।
सांवरिया सेठ मंदिर की स्थापना की कहानी और मान्यताएँ
कहानी के अनुसार, चार व्यापारियों को अलग-अलग समय पर एक ही स्थान पर खुदाई करने का आदेश मिला। चारों स्थानों से श्रीकृष्ण की मूर्तियाँ प्राप्त हुईं जिन्हें आज के तीन प्रमुख मंदिरों में स्थापित किया गया है।
प्रमुख मान्यताएँ:
- जो भी यहाँ मनौती मानता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है।
- व्यापारिक सफलता के लिए विशेष रूप से पूजा होती है।
सांवरिया सेठ मंदिर के पास पुलिस स्टेशन और रेलवे स्टेशन
- निकटतम थाना: मंडफिया पुलिस स्टेशन (1.2 किमी)
- रेलवे स्टेशन: चित्तौड़गढ़ जंक्शन (40 किमी)
- हेल्पलाइन: मंदिर ट्रस्ट कार्यालय
दान-पात्र और मंदिर का योगदान
मंदिर के दान-पात्र में हर वर्ष करोड़ों की राशि एकत्र होती है।
इस धन का उपयोग:
- सामाजिक सेवा
- गौशालाएं
- हॉस्पिटल
- छात्रावास
- धर्मशालाएं बनाने में होता है।
सांवरिया सेठ जी के 3 प्रमुख मंदिर
सांवरिया सेठ जी के तीन प्रमुख मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले में स्थित हैं। ये तीनों मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और भक्त इन सभी के दर्शन करके अपनी यात्रा को पूर्ण मानते हैं।
1. मंडफिया मंदिर (मुख्य मंदिर)
- यह मुख्य और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ भगवान सांवरिया सेठ जी की चमत्कारी मूर्ति स्थापित है।
- यहाँ भक्तों की भारी भीड़ रहती है और मंदिर में रोज़ाना कई बार आरती होती है।
- यह मंदिर एक भव्य परिसर में स्थित है, जहाँ दान पेटियाँ, प्रसाद वितरण, धर्मशालाएँ और भंडारे की व्यवस्था रहती है।
2. भादसौड़ा मंदिर
- यह मंदिर मंडफिया से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है और इसे सांवरिया सेठ जी के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।
- यहाँ भी भक्तगण बड़ी श्रद्धा से दर्शन के लिए आते हैं और मानते हैं कि यहाँ दर्शन करने से व्यापारिक उन्नति होती है।
- इस मंदिर का वातावरण शांति और भक्ति से परिपूर्ण होता है।
3. बगुंड मंदिर
- बगुंड मंदिर भी सांवरिया सेठ जी के रूप का ही एक पवित्र स्थल है।
- यह स्थान भी भक्तों के लिए उतना ही पवित्र और चमत्कारी माना जाता है जितना मंडफिया और भादसौड़ा।
- यहाँ दर्शन करने वाले भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
तीनों मंदिरों के बीच की दूरी
क्रम | मंदिर का नाम | किससे दूरी | दूरी (किलोमीटर में) | अनुमानित समय (वाहन से) |
1 | मंडफिया → भादसौड़ा | सीधे | लगभग 6 किमी | 10-15 मिनट |
2 | मंडफिया → बगुंड | सीधे | लगभग 12 किमी | 20-25 मिनट |
3 | भादसौड़ा → बगुंड | सीधे | लगभग 8 किमी | 15-20 मिनट |
यात्रा मार्ग सुझाव
आप इन तीनों मंदिरों की यात्रा इस क्रम में कर सकते हैं:
मंडफिया (मुख्य मंदिर) → भादसौड़ा → बगुंड
या फिर
बगुंड → भादसौड़ा → मंडफिया (मुख्य दर्शन)
🔔 टिप: सभी मंदिर अच्छे रोड से जुड़े हुए हैं और निजी वाहन या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर परिसर में पार्किंग की भी उचित सुविधा होती है।
परिसर में अन्य प्रमुख मंदिर
- राधा रानी मंदिर
- शिव मंदिर
- हनुमान मंदिर
- सती माता मंदिर
खाटू श्याम से सांवरिया सेठ की दूरी
खाटू श्याम मंदिर (सीकर) से सांवरिया सेठ मंदिर (चित्तौड़गढ़) की दूरी लगभग 175 किमी है।
सांवलिया सेठ मंदिर की यात्रा और आसपास घूमने की जगहें
- चित्तौड़गढ़ किला
- विजय स्तंभ
- कुम्भा महल
- राणा सांगा स्मारक
- मेवाड़ का गौरव संग्रहालय
- उदयपुर झील और सिटी पैलेस (80 किमी)
निष्कर्ष
सांवरिया सेठ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं, तो एक बार यहाँ के दर्शन अवश्य करें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. सांवरिया सेठ मंदिर कहाँ है?
चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया गांव में।
Q2. जयपुर से सांवरिया सेठ कितने किलोमीटर है?
जयपुर से सांवरिया सेठ मंदिर (मंडफिया, चित्तौड़गढ़) की दूरी लगभग 325 से 340 किलोमीटर है, जो मार्ग के अनुसार थोड़ी बदल सकती है।
- सड़क मार्ग से यात्रा समय: लगभग 6 से 7 घंटे
- मुख्य मार्ग: जयपुर → भीलवाड़ा → चित्तौड़गढ़ → मंडफिया (सांवरिया सेठ मंदिर)
Q3. क्या मंदिर खुला है या बंद?
मंदिर दर्शन के लिए प्रतिदिन खुला रहता है।
Q4. दर्शन का समय क्या है?
सुबह 5:30 से रात 9:00 बजे तक।
Q5. मंदिर का इतिहास क्या है?
एक व्यापारी को मिले स्वप्न से मूर्ति प्राप्त हुई, जिसे यहाँ स्थापित किया गया।
Q6. मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
व्यापारी और भक्त इसे चमत्कारी मानते हैं, यहाँ दान की परंपरा प्रसिद्ध है।
Q7. खाटू श्याम से दूरी कितनी है?
लगभग 175 किलोमीटर।
Q8. क्या पास में रहने की सुविधा है?
हाँ, ट्रस्ट धर्मशाला, होटल और लॉज की सुविधा है।
Q9. मंदिर परिसर में क्या-क्या है?
अन्य मंदिर, गौशाला, प्रसाद केंद्र और भक्त निवास।
Q10. मंदिर का दान कितना होता है?
हर वर्ष करोड़ों की राशि दान-पात्र में जमा होती है।
Q11. नीमच से सांवरिया सेठ मंदिर की दूरी कितनी है?
नीमच से सांवरिया सेठ मंदिर (मंडफिया, चित्तौड़गढ़) की दूरी लगभग 55 से 60 किलोमीटर है, और यह दूरी सड़क मार्ग से तय करने में लगभग 1 से 1.5 घंटे का समय लगता है।
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